इस पोस्ट में झारखण्ड बोर्ड कक्षा 10 के सामाजिक विज्ञान राजनितीक शास्त्र के पाठ एक ‘सत्ता की साझेदारी (Satta ki sajhedari)’ के Book solutions को पढ़ेंगे।
पाठ 1 सत्ता की साझेदारी
प्रश्न 1. आधुनिक लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं में सत्ता की साझेदारी के अलग अलग तरीके क्या है? इनमें से प्रत्येक का एक उदाहरण भी दे।
उत्तर- – आधुनिक लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं में सत्ता की साझेदारी के अलग-अलग तरीके कई प्रकार के हैं तथा प्रत्येक का एक एक उदाहरण निम्नलिखित है-
(i) विभिन्न स्तरों पर सरकार सरकार के बीच भी विभिन्न स्तरों पर सत्ता का बँटवारा हो सकता है। जिन देशों में संघीय सरकार है उन देशों में संघ तथा राज्यों के बीच स्पष्ट रूप से सत्ता का बंटवारा कर दिया जाता है कई देशों में राज्य सरकार से भी नीचे के अवसर पर स्थानीय सरकार की संस्थाओं की स्थापना कर दी जाती है। भारत में ग्राम पंचायत नगर पालिका नगर निगम आदि ऐसी ही संस्थाएँ हैं उच्च स्तर और निम्न स्तर की सरकारों के बीच सत्ता के ऐसे बँटवारे को उधरवाधर वितरण कहा जाता है।
(ii) सरकार के तीन अंगों में सत्ता की साझेदारी लोकतंत्र में सरकार की समस्त शक्तियाँ सरकार के किसी एक के पास नहीं होती इन्हें सरकार के तीनों अंगों विधायिका कार्यपालिका तथा न्यायपालिका की साझेदारी होती है यह सप्ताह का वितरण कहलाता है।
(iii) विभिन्न जातीय तथा भाषाई समूह में सत्ता की साझेदारी देश के विभिन्न जातीय या भाषाई समूहों के बीच भी सत्ता की साझेदारी के उदाहरण मिलते हैं। बेल्जियम की सामुदायिक सरकार इसका स्पष्ट उदाहरण है।
प्रश्न 2. भारतीय संदर्भ में सत्ता की हिस्सेदारी का एक उदाहरण देते हुए इसका एक युक्ति परक और एक नैतिक कारण बताएँ?
उत्तर- – भारतीय संदर्भ में सत्ता की हिस्सेदारी का एक उदाहरण तथा इसका एक युक्ति पर और एक नैतिक कारण निम्नलिखित है लोकतंत्र में सत्ता की भागीदारी के दो कारण दिए जाते हैं (i) युक्ति पर कारण (ii) नैतिक कारण युक्ति परक कारण शक्ति के बँटवारे से होने वाले लाभ दायक परिणामों पर बल देते हैं जबकि नैतिक कारक इसकी स्वाभाविक योग्यता पर बल देते हैं।
(i) युक्ति परक कारक:- भारत में जाति धर्म, भाषा, लिंग आदि के आधार पर अनेक सामाजिक समूह मौजूद है ऐसी स्थिति में सत्ता में भागीदारी विभिन्न सामाजिक समूहों के बीच तनाव तथा संघर्ष की स्थिति की संभावना को कम करने में सहायता करती है। अनुसूचित जातियों अनुसूचित जनजातियों अन्य पिछड़े वर्गों के लिए विधानमंडल तथा सरकारी नौकरियों में आरक्षण की व्यवस्था इसका स्पष्ट उदाहरण है-
(ii) नैतिक कारण:- नैतिककता के आधार पर यह तर्क दिया जाता है। लोकतंत्र की आत्मा शक्ति के विभाजन तथा साजिदारी में निहित है। लोकतंत्र की मान्यता है कि सत्ताधारी लोग जिन पर शासन करते हैं उन लोगों की अवश्य राय लें कि वह किस प्रकार से सरकार का संचालन चाहते हैं वे सरकार से किस प्रकार के कानूनों तथा नीतियाँ चाहते हैं।
Satta ki sajhedari
प्रश्न 3. इस अध्याय को पढ़ने के बाद 3 छात्रों ने अलग-अलग निष्कर्ष निकाले आप इन में से किस से सहमत है और क्यों अपना जवाब करीब 50 शब्दों में दें?
थम्मन:- जिन समाजों में क्षेत्रीय भाषाई और जातीय आधार पर विभाजन और सिर्फ नहीं सत्ता की साझेदारी जरूरी है।
मथाई:- सत्ता की साझेदारी सिर्फ ऐसे बड़े देशों के लिए उपयुक्त है जहाँ क्षेत्रीय विभाजन मौजूद होते हैं।
अवसेफ:- हर समाज में सत्ता की साझेदारी की जरूरत होती है। भले ही वह छोटा हो या उसमें सामाजिक विभाजन ना हो।
उत्तर- :- हम औसेफ के विचार से सहमत हैं जो यह कहता है कि प्रत्येक समाज में शक्ति की भागीदारी आवश्यक है। चाहे वह समाज छोटी ही क्यों ना हो और उसमें विभिन्नताएँ ना भी हो प्रतीक समाज में जाति, धर्म, भाषा तथा क्षेत्र आदि के आधार पर अलग-अलग समूह होते हैं और उनके बीच शक्ति की भागीदारी उनके बीच तनाव तथा झगड़े की संभावना को कम कर देती है। जो कि सरकार द्वारा बनाए गए कानून सभी को प्रभावित करते हैं।
प्रश्न 4. बेल्जियम के बुरुसेल्स के निकट स्थित शहर मार्चटेम के मेथर ने अपने यहाँ के स्कूलों में फ्रेंच बोलने पर लगी रोक को सही बताया है। उन्होंने कहा है कि इससे डच भाषा ना बोलने वाले लोगों को इस फ्लेम इस शहर के लोगों से जुड़ने में मदद मिलेगी। क्या आपको लगता है कि यह फैसला बेल्जियम की सत्ता की साझेदारी की व्यवस्था की मूल भावना से मेल खाता है। अपना जवाब करीब 50 शब्दों में लिखें?
उत्तर- – हमारे विचार में मर्चटेम के महापौर द्वारा बेल्जियम की राजधानी के पास फ्रांसीसी भाषा बोलने पर पाबंदी लगाना बेल्जियम में शक्ति की भागीदारी की व्यवस्था के अनुकूल है। बेल्जियम के संविधान द्वारा संगीत तथा राज्य सरकारों के अतिरिक्त एक तीसरी सरकार सामुदायिक सरकार की स्थापना की व्यवस्था की गई है। जिसका चुनाव एक भाषा बोलने वाले समुदाय द्वारा किया जाता है। चाहे वे देश के किसी भी भाग में रहते हो। इस सरकार की अपनी समुदाय के लोगों को सांस्कृतिक भाषा शिक्षा संबंधी मुद्दों के बारे में निर्णय लेने का अधिकार है कि ऊपर दी गई व्यवस्था एक ऐसी ही व्यवस्था का महापौर का ऊपर आदेश उस देश में शक्ति की भागीदारी के लिए की गई है। व्यवस्था के अनुकूल है।
Satta ki sajhedari
प्रश्न 5. नीचे दिए गए उदाहरण को गौर से पढ़े और इसमें सत्ता की साझेदारी के जो युक्ति पर कारक कारण बताए गए हैं उसमें से किसी एक का चुनाव करें महात्मा गांधी के सपनों को साकार करने और अपने संविधान निर्माताओं की उम्मीदों को पूरा करने के लिए हमें पंचायत को अधिकार देने की जरूरत है। पंचायती राज ही वास्तविक लोकतंत्र की स्थापना करता है। यह सत्ता उन लोगों के हाथों में शौपित है जिनके हाथों में होना चाहिए। भ्रष्टाचार कम करने और प्रशासनिक कुशलता को बढ़ाने का एक उपाय पंचायतों को अधिकार देना भी है जब विकास की योजनाओं को बनाने और लागू करने में लोगों की भागीदारी होगी तो इन योजनाओं पर उनका नियंत्रण बढ़ेगा इससे भ्रष्टाचारियों को खत्म किया जा सकेगा। इस प्रकार पंचायती राज लोकतंत्र की नीव को मजबूत करेगा?
उत्तर- – लोकतंत्र को मजबूत बनाने के लिए पंचायत की स्थापना करना तथा उन्हें शक्तियों के प्रयोग में भागीदारी बनाना बहुत आवश्यक है। पंचायतों को शक्तियाँ देने से शासन में कुशलता आएगी और भ्रष्टाचार में भी कमी आएगी। जब गाँव में रहने वाले लोग स्वयं अपने विकास की योजनाओं का निर्माण करेंगे और उन्हें स्वयं लागू करेंगे वे उन योजनाओं तथा कार्यक्रम पर अधिक नियंत्रण रखेंगे इस व्यवस्था में विमान तथा भ्रष्ट बिचौलियों की भूमिका भी समाप्त हो जाएगी। अतः पंचायती राज लोकतंत्र की जड़ों को मजबूत करेगा।
6. सत्ता के बँटवारे के पक्ष और विपक्ष में कई तरह के तर्क दिए जाते हैं। इनमें से जो तर्क सत्ता के बँटवारे के पक्ष में हैं उनकी पहचान करे और नीचे दिए गए कोड से अपने उत्तर- का चुनाव करें।
सत्ता की साझेदारी :
(क) विभिन्न समुदायों के बीच टकराव को कम करती है।
(ख) पक्षपात का अंदेशा कम करती है।
(ग) निर्णय लेने की प्रक्रिया को अटका देती है।
(घ) विविधताओं को अपने में समेट लेती है।
(ङ) अस्थिरता और आपसी फूट को बढ़ाती है।
(च) सत्ता में लोगों की भागीदारी बढ़ाती है।
(छ) देश की एकता को कमज़ोर करती है।
(सा) क-ख-घ-च
(रे) क-ग-ङ-च
(गा) क-ख-घ-छ
(मा) ख-ग-घ-छ
उत्तर- (सा) क-ख-घ-च
7. बेल्जियम और श्रीलंका की सत्ता में साझीदारी की व्यवस्था के बारे में निम्नलिखित बयानों पर विचार करें।
हुसंख्यकों
(क) बेल्जियम में डच भाषी बहुसंख्यकों ने फ्रेंच भाषी अल्पसंख्यकों पर अपना प्रभुत्व जमाने का प्रयास किया।
(ख) सरकार की नीतियों ने सिंहली भाषी बहुसंख्यकों का प्रभुत्व बनाए रखने का प्रयास किया।
(ग) अपनी संस्कृति और भाषा को बचाने तथा शिक्षा तथा रोज़गार में समानता के अवसर के लिए श्रीलंका के तमिलों ने सत्ता को संघीय ढाँचे पर बाँटने की माँग की।
(घ) बेल्जियम में एकात्मक सरकार की जगह संघीय शासन व्यवस्था लाकर मुल्क को भाषा के आधार पर टूटने से बचा लिया गया।
ऊपर दिए गए बयानों में से कौन-से सही हैं?
उत्तर- ख, ग और ब ।
Satta ki sajhedari
8. सूची I [सत्ता के बँटवारे के स्वरूप] और सूची 2 [ शासन के स्वरूप] में मेल कराएँ और नीचे दिए गए कोड का उपयोग करते हुए सही जवाब दें :
उत्तर- ख-घ-क-ग ।
9.सत्ता की साझेदारी के बारे में निम्नलिखित दो बयानों पर गौर करें और नीचे दिए गए कोड के आधार पर जवाब दें :
(अ) सत्ता की साझेदारी लोकतंत्र के लिए लाभकर है।
(ब) इससे सामाजिक समूहों में टकराव का अंदेशा घटता है ।
इस बयानों में कौन सही है और कौन गलत ?
(क) अ सही है लेकिन ब गलत है।
(ख) अ और ब
(ग) अ और ब
(घ) अ गलत है
दोनों सही हैं।
दोनों गलत हैं। लेकिन ब सही है।
उत्तर- अ और ब दोनों सही है।
Satta ki sajhedari
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