इस पोस्ट में झारखण्ड बोर्ड कक्षा 10 के सामाजिक विज्ञान राजनितीक शास्त्र के पाठ चार ‘जाति, धर्म और लैंगिक मसले (Jati dharm or langik masle)’ के Book solutions को पढ़ेंगे।
पाठ 4
जाति, धर्म और लैंगिक मसले
1. जीवन के उन विभिन्न पहलुओं का ज़िक्र करें जिनमें भारत में स्त्रियों के साथ भेदभाव होता है या वे कमज़ोर स्थिति में होती हैं।
उत्तर- भारत में निम्नलिखित क्षेत्रों में महिलाओं के साथ भेदभाव पूर्ण व्यवहार किया जाता है।
- भारत के अनेक भागों में माँ बात को केवल लड़के की ही चाहन होती है और कई बार तो लड़की के जन्म लेते ही उसकी हत्या कर दी जाती है। इसके परिणाम स्वरूप भारत में लिंगानुपात प्रति 1000 लड़कों के मुकाबले 927 लड़कियाँ रह गई है। कई राज्यों में तो यह अनुपात और अधिक गिरकर 850 और उससे भी नीचे चला गया है।
- भारत में आज भी ऊँचे वेतन पाने वाले तथा ऊँचे सम्मान वाले पदों पर महिलाओं की संख्या पुरुषों के मुकाबले बहुत कम हैं।
- स्त्रियों को पुरुषों के समान राजनीतिक अधिकार दिए गए हैं, परंतु राजनीति में उनकी भागीदारी बहुत कम दिखाई देती है। इस बात का अनुमान इससे लगाया जा सकता है कि आज तक किसी भी लोकसभा में महिलाओं की संख्या कुल सदस्य संख्या के 1/2 भाग के बराबर नहीं पहुँची है।
- यद्यपि समान काम करने के लिए समान वेतन संबंधी कानून पास कर दिया गया है, परंतु अब भी कई क्षेत्रों में महिलाओं को समान कार्य के लिए पुरुषों के समान वेतन नहीं मिलता।
- कई परिवारों के बच्चों के पालन-पोषण में लड़के तथा लड़की के खाने पीने तथा शिक्षा के बारे में भी भेदभाव किया जाता है।
2. विभिन्न तरह की सांप्रदायिक राजनीति का ब्यौरा दें और सबके साथ एक-एक उदाहरण भी दें।
उत्तर- यद्यपि भारत एक धर्मनिरपेक्ष राज्य है। और धर्म के आधार पर संविधान किसी प्रकार का भेदभाव नहीं करता फिर भी संप्रदायिकता राजनीति में अनेक रूप धारण किए हुए हैं। यह बात निम्नलिखित विवरण तथा उदाहरण से स्पष्ट है।
- मंत्रिमंडल के निर्माण के समय:- मंत्रिमंडल के निर्माण के समय इस बात का विशेष ध्यान रखा जाता है कि प्रत्येक धर्म समुदाय के व्यक्ति को कुछ न कुछ स्थान दिए जाएँ। प्रत्येक राज्य में उस धार्मिक समुदाय को मंत्रिमंडल में स्थान दिया जाता है, तो उस राज्य में अच्छी संख्या में मौजूद होता है।
- सांप्रदायिक राजनीतिक दलों का गठन भारत में अनेक राजनीतिक दलों का गठन सांप्रदायिक आधार पर किया गया है। मुस्लिम लिंग हिंदू महासभा तथा अकाली दल धर्म पर आधारित राजनीतिक दल है।
- धर्म के आधार पर मतदान चुनाव में ऐसे मतदाताओं की संख्या बहुत अधिक होती है, जो अपने धर्म से संबंध रखने वाले उम्मीदवार के पक्ष में मतदान करते हैं।
- धर्म के आधार पर चुनाव के लिए उम्मीदवारों का चयन सभी राजनीतिक दल चुनाव के लिए अपने उम्मीदवार का चुनाव करते समय इस बात का विशेष ध्यान रखते हैं, कि उस चुनाव क्षेत्र में किस धर्म के मानने वाले लोग बहुत संख्या में है। और प्रायः धार्मिक समुदाय के सदस्य को ही अपना टिकट देते हैं।
3. बताइए कि भारत में किस तरह अभी भी जातिगत असमानाताएँ जारी हैं।
उत्तर- भारत में निम्नलिखित तरह से अभी भी जातिगत और समानताएँ जारी है। जाति व्यवस्था सदा से ही भारतीय समाज का अर्थ एवं महत्वपूर्ण अंग रही है। और उसने जीवन के प्रत्येक क्षेत्र को प्रभावित किया है। प्राचीन काल में वर्ण व्यवस्था का आधार कम था व्यक्ति का कर्म उसके वर्ण को निर्धारित करता था। परंतु धीरे-धीरे यह व्यवस्था वितरित होती चली गई। और जाति का आधार कर मन रह कर जन्म बन गया जातिवाद एक ऐसी संकीर्ण जो सामाजिक समानता व सामाजिक विघटन को बढ़ावा देती है। भारत में आज कोई ब्राह्मण है, कोई राजपूत, कोई जाट, कोई बनीया तथा कोई खत्री अथवा गुज्जर है। परंतु सच्चा भारतीय ढूंढ़ना कठिन है। विभिन्न जातियों के लोग प्रायः जाति के अंदर ही विवाह करते हैं। जाति के अन्य सदस्यों के साथ उठते बैठते तथा खाते पीते हैं, तथा त्योहार आदि मनाते हैं। यद्यपि भारतीय संविधान द्वारा जाति के आधार पर नागरिकों के बीच भेदभाव को समाप्त कर दिया गया है, परंतु आज भी अनेक क्षेत्रों में जातीय समानताएँ देखने को मिलती है। जो जातिवाद का सबसे घिनौना रूप है। विधान द्वारा समाप्त कर दिया गया है, और किसी भी रूप में इसका प्रयोग दंडनीय अपराध घोषित कर दिया गया है। परंतु कई स्थानों पर विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में यह आज भी जारी है, आज भी अधिकतर लोग अपनी जाति के अंदर ही विवाह करते हैं, तथा संबंध स्थापित करते हैं।
Jati dharm or langik masle
4. दो कारण बताएँ कि क्यों सिर्फ़ जाति के आधार पर भारत में चुनावी नतीजे तय नहीं हो सकते।
उत्तर- दो कारण निम्नलिखित है कि क्या सिर्फ जाति के आधार पर भारत में चुनावी नतीजे तय नहीं हो सकते।
- देश में किसी भी संसदीय चुनाव क्षेत्र में किसी एक जाति के लोगों का पूर्ण बहुमत नहीं है। चुनाव जीतने के लिए प्रत्येक उम्मीदवार के लिए अपनी जाति के मतदाताओं के अतिरिक्त अन्य जातियों के लोगों के मत हासिल करना भी आवश्यक होता है।
- कोई भी उम्मीदवार अपनी जाति के सभी मत नहीं ले सकता। अतः उसे अन्य जातियों के मतों का सहारा लेना पड़ता है।
5. भारत की विधायिकाओं में महिलाओं के प्रतिनिधित्व की स्थिति क्या है?
उत्तर- भारतीय लोकतंत्र तीन स्तरों पर कार्यरत है। और तीनों स्तरों पर अलग-अलग विधायिकाएँ हैं। केंद्रीय स्तर पर संसद है, जिसमें महिलाओं का प्रतिनिधित्व सदा से ही बहुत कम रहा है। लोकसभा के 17 चुनाव हो चुके हैं, और आज तक किसी भी लोकसभा में महिला प्रतिनिधियों की संख्या सदन की कुल संख्या का 1/10 भाग नहीं पहुँच पाएँ। परंतु 17वीं लोकसभा में इनकी संख्या पहली बार 14% से अधिक (78) हुई है। राज्यों की विधानसभाओं में उनका प्रतिनिधित्व 5% से भी कम है। मंत्रिमंडल में भी महिलाओं की संख्या बहुत ही कम रहती है, चाहे प्रधानमंत्री अथवा मुख्यमंत्री के पद पर कोई महिला ही विराजमान क्यों ना हो। परंतु संविधान के 73वें और 74वें संशोधनों के लागू होने के पश्चात ग्रामीण तथा शहरी स्थानीय संस्थाओं में एक तिहाई स्थान महिलाओं के लिए आरक्षित करने की व्यवस्था कर दी गई है। संसद तथा राज्य विधानसभा में भी इस प्रकार के आरक्षण की बात चल रही है। परंतु विभिन्न राजनीतिक दलों के बीच मतभेद होने के आसार अभी इस संबंध में कोई निर्णय नहीं लिया जा सकता है।
6. किन्हीं दो प्रावधानों का जिक्र करें जो भारत को धर्मनिरपेक्ष देश बनाते हैं।उत्तर- किन्ही दो प्रावधानों का जिक्र निम्नलिखित है, जो भारत को धर्मनिरपेक्ष देश बनाते हैं।
- भारत के प्रत्येक नागरिक को अपनी इच्छा अनुसार किसी भी धर्म को मानने तथा उसका प्रचार करने का अधिकार दिया गया राज्य का कोई धर्म नहीं है। और धर्म के आधार पर राज्य द्वारा नागरिकों के बीच किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं किया जा सकता।
7.जब हम लैंगिक विभाजन की बात करते हैं तो हमारा अभिप्राय होता है
(क) स्त्री और पुरुष के बीच जैविक अंतर
(ख) समाज द्वारा स्त्री और पुरुष को दी गई असमान भूमिकाएँ
(ग) बालक और बालिकाओं की संख्या का अनुपात।
(घ) लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं में महिलाओं को मतदान का अधिकार न मिलना ।
उत्तर- समाज द्वारा स्त्री और पुरुष को दी गई असमान भूमिकाएँ।
8. भारत में यहाँ औरतों के लिए आरक्षण की व्यवस्था है :
(क) लोकसभा
(ख) विधानसभा
(ग) मंत्रिमंडल
(घ) पंचायती राज की संस्थाएँ
उत्तर- पंचायती राज्य की संस्थाएँ।
9. सांप्रदायिक राजनीति के अर्थ संबंधी निम्नलिखित कथनों पर गौर करें। सांप्रदायिक राजनीति इस धारणा पर आधारित है कि :
(अ) एक धर्म दूसरों से श्रेष्ठ है।
(ब) विभिन्न धर्मों के लोग समान नागरिक के रूप में खुशी-खुशी साथ रह सकते हैं।
(स) एक धर्म के अनुयायी एक समुदाय बनाते हैं।
(द) एक धार्मिक समूह का प्रभुत्व बाकी सभी धर्मों पर कायम करने में शासन की शक्ति का प्रयोग नहीं किया जा सकता।
इनमें से कौन या कौन-कौन सा कथन सही है ?
- अ, ब, स और द (ख) अ, ब और द (ग) अ और स (घ) ब और द
उत्तर- (ग) अ और स
Jati dharm or langik masle
10. भारतीय संविधान के बारे में इनमें से कौन सा कथन गलत है?
(क) यह धर्म के आधार पर भेदभाव की मनाही करता है।
(ख) यह एक धर्म को राजकीय धर्म बताता है।
(ग) सभी लोगों को कोई भी धर्म मानने की आज़ादी देता है।
(घ) किसी धार्मिक समुदाय में सभी नागरिकों को बराबरी का अधिकार देता है ।
उत्तर- (ख) यह एक धर्म को राजकीय धर्म बताता है।
11. …………………. पर आधारित सामाजिक विभाजन सिर्फ़ भारत में ही है।
उत्तर- जातिवाद ।
सूची I और सूची II का मेल कराएँ और नीचे दिए गए कोड के आधार पर सही जवाब
खोजें।
उत्तर- (रे) ख, क, घ, ग ।
Jati dharm or langik masle
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